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Showing posts from 2020

ब्लॉगिंग के लिए टॉपिक कैसे चुने?

हैलो दोस्तों, आज हम बात करेंगे कि ब्लॉगिंग के लिए कोई टॉपिक का चुनाव कैसे करे. तो आइए जानते है.. आज जानकारी हम सबके लिए सिर्फ एक दो क्लिक से ही आ जाती है. वो सारी जानकारी हमे सर्च इंजन कई सारे फैक्टर को देख कर हमे सबसे अच्छे सर्च रिजल्ट को एक साथ हमे दिखता है. हम जो भी सर्च रिजल्ट देखते है वो सारे हमे कोई ना कोई ब्लॉग से मिलता है. आज हमारे देश में कई सारे ऐसे ब्लॉगर है जो कि अपनी नॉलेज को काफी अच्छे से और एक सटीक तरीके से व्यक्त करते है. ब्लॉगर वो व्यक्ति होता है जो कि उस ब्लॉग को चलता और उसे अच्छे से मेंटेन करता है. वो ब्लॉगर कोई एक ब्लॉग को अपने मुताबिक विषय को चुन कर उसमे अपने विचार व्यक्त करके उसे एक आर्टिकल के रूप में लोगो के सामने वेबसाइट पर रखता है. ब्लॉगर कई ऐसे विषय पर काम करते है जो कि एक टॉपिक के अंदर आते है जैसे कोई एक कंपनी के प्रोडक्ट को रिव्यू करना, उसके विषय पर व्यक्त करना वगेरह. कोई एक ब्लॉग जब कोई एक प्रोडक्ट या कोई एक कीवर्ड पर कोई ब्लॉगर लिखता है. और उसी पर काम करके वेबसाइट को सेटअप करता है. और उस ब्लॉग पर उसी तरह के आर्टिकल लिखता है जो कि किसी पर्टिकुलर टॉपिक या प्

हमे कौनसी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज से शुरुआत करनी चाहिए?

हैलो दोस्तों, अगर आप कोई वेबसाइट बनाते है. जिसे आप खुद के हिसाब से बनाना चाहते है. या फिर आप प्रोग्रामिंग सीखना चाहते है तो आप को कौनसी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज से शुरुआत करे ये आज की तारीख में बहोत बड़ा सवाल है. क्युकी आज हर कोई मोबाइल फोन कंप्यूटर आदि का इस्तेमाल कर रहा है. और आज हर कोई कंप्यूटर कि जानकारी लेना चाहता है. अगर आप भी वेबसाइट वगेरह बनाना सीखना चाहते है. तो आप को कोई ना कोई प्रोग्रामिंग सीखनी पड़ेगी. पर उसके लिए हर एक इंसान को अपने लेवल के हिसाब से प्रोग्रामिंग सीखनी चाहिए. तो आइए जानते है कि किसे किस तरह की प्रोग्रामिंग से शुरुआत करनी चाहिए... 1.C Language अगर आप कंप्यूटर के स्टूडेंट है तो आपको सबसे पहले बेसिक प्रोग्रामिंग लैंग्वेज जैसे C language से शुरुआत करनी चाहिए. क्युकी ये सबसे अच्छी और आज के समय में भी पॉपुलर लैंग्वेज होने के साथ साथ सभी प्रोग्रामिंग लेंग्वेज से पुरानी लैंग्वेज है. इसके कुछ फंक्शन आजभी कई सारी और प्रोग्रामिंग लैंग्वेज में इस्तेमाल किए जाते है.  2.HTML & CSS अब हम आते है दूसरी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज पर. तो दूसरी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज है. HTML,CSS क

CPanel क्या है?

हम ने अभी अभी एक वेबसाइट को होस्टिंग में होस्ट करना सिखाया था. उसमे आपने एक वर्ड जरूर सुन होगा Cpanel. आज हम बात करने वाले है cpanel के बारेमें को ये क्या होता है इसका यूस क्या है इस का फुलफॉर्म क्या है वगेरह.तो आइए जानते है कि cpanel क्या होता है. सबसे पहले हम शुरुआत करते है इसके फुलफॉर्म से. Cpanel का फुलफॉर्म होता है कंट्रोल पैनल. जैसे कि हमारे कंप्यूटर और मोबाइल में होता है. इस cpanel का भी वही काम है पर इसका इस्तेमाल वेबसाइट के कंट्रोल हेतु किया जाता है.  Cpanel से आप अपनी वेबसाइट पर कुछ भी कर सकते है. जैसे कि वेबसाइट बनाना डेटा बेस बनाना, कस्टम ईमेल आईडी क्रिएट करना केसे काम भी आप कर पाएंगे. आप इससे अपनी वेबसाइट की गतिविधियों की निगरानी रख सकते है.  तो ये थी कुछ जानकारी Cpanel से रिलेटेड तो आप इससे जरूर जानने मिला होगा. और ये आप के काफी काम भी आएगा.

whois look-up क्या है?

Whois look-up एक देता बेस है जोकि जिसने भी अपनी वेबसाइट बनाके डोमेन रजिस्टर किया है उनकी जानकारी होगी. अगर आपको किसिभि डोमेन के मालिक की जानकारी चेक करनी है तो आप को इस से मिली जाएगी. यहां आप को उसे कॉन्टेक्ट करने के लिए सारी चीजे आप को मिलसक्ती है. तो दोस्तो ये थी कुछ जानकारी whois look-up से रिलेटेड. अगर आपको ज्यादा जानकारी चाहिए तो आप मूजे कमेंट कर सकते है.

DA PA क्या होता है?

अगर आपकी वेबसाइट है और आप उसे ज्यादा से ज्यादा लोगो तक पहुंचना चाहते है तो आप के लिए एक ये चीज भी जाननी काफी जरूरी है. तो आइए जानते है कि ये DA PA क्या होता है. सबसे पहले तो हम इन दोनों का मतलब जानेंगे की DA PA क्या होता है. DA मतलब डोमेन अथॉरिटी और PA मतलब पेज अथॉरिटी. पहले तो ये बात क्लियर करदू की वेबसाइट की इंटरनेट पर रैंकिंग से DA PA का कोई लेना देना नहीं है. DA PA को moz नाम की एक कंपनी में बनाया है. DA PA को समज ने के लिए आप को में एक टीचर का एकसांपल देता हूं. जब हम स्कूल में थे तब हम कभी भी अपना होम वर्क अपने टीचर को देते थे. और हमे टीचर उस तरह से हमे अंक देते थे. उसी तरह moz का भी है. यहां moz कई सारे पैरामीटर को देख के हमे शून्य से सो तक के अंक देगा है.  DA PA वेबसाइट की रिपुटेशन को बढ़ावा देने के लिए काफी महत्वपूर्ण है. पर मैने आप की ऊपर बताया उस तरह इस का गूगल के रैंकिंग से कोई लेना देना नहीं है.  तो ये थी कुछ जान कारी DA PA से रिलेटेड आशा करता हूं आपको ये जरूर काम आएगा.

अपनी वेबसाइट पर ट्रैफिक कैसे लाए?

अगर आपकी वेबसाइट अभी नई है और आप उसपर ट्राफिक ले कर आना चाहते है तो आप को ये जरूर जानना चाहिए. की ट्रैफिक कैसे लाए. तो आइए जानते है कि वेबसाइट पर ट्रैफिक कैसे लाए.  वेबसाइट पर अगर आप को नई वेबसाइट होने के कारण ट्राफिक नहीं मिल पाता तो कोई चिंता करने की जरूरत नहीं है. अगर आपकी वेबसाइट नई है तो ये होना लाजमी ही कि आप की वेबसाइट पर सर्च से ट्रैफिक ना भी आए.  अगर आपको ऐसा होता है तो आपको अपनी वेबसाइट को अपने दोस्त अपने फेमिली मेंबर को भी शेयर कर सकते है. आप अलग अलग वेबसाइट में बैकलिंक बना कर भी अपनी वेबसाइट पर ट्रैफिक ला सकते है. अगर आप सोशल मिडिया में है तो आप वहा पर भी अपनी वेबसाइट को शेयर करके अपनी वेबसाइट पर ट्रैफिक लेके आ सकते है. तो दोस्तो ये थी कुछ जानकारी वेबसाइट पर ट्रैफिक लाने के विषय में.

वेबसाइट रैंकिंग के फेक्टर्स?

अगर आप वेबसाइट चलते है तो आप को कभी ट्रैफिक नहीं आत होगा. कभी वेबसाइट अपडाउन होती रहेत्ति है. विजिटर ज्यादा नहीं आते जैसी समस्या हो रही है तो आप को वेबसाइट के रैंकिंग के कुछ फेक्टर्स पता जरूर होने चाहिए. तो आइए जानते है वेबसाइट के रैंकिंग के फेक्टर्स. अगर आपकी वेबसाइट अभी नई है और कभी को गूगल के टॉप पेज पे होती है और कभी टॉप सो में भी नहीं होती. तो इसमें कोई चिंता की बात नहीं है क्युकी वेबसाइट की शुरुआत से एक डेढ़ साल तक आप की वेबसाइट सर्च इंजिन के लिए तो नई ही है. अगर ऐसा होता है तो कोई चिंता की बात नहीं है शुरुआत में ये सब होना लाजमी है.  वेबसाइट आप के विजिटर की संख्या पर और उनके औसत आप की वेबसाइट पर कितने समय तक रहा उस पर भी आप की वेबसाइट कि रैंकिंग होती है. अगर आप को यूजर फ्रेंडली वेबसाइट बनानी है तो आपको यूजर फ्रेंडली इंटरफेस भी यूस करना होगा जिस कारण यूजर को आप की वेबसाइट पर ज्यादा से ज्यादा समय आप की वेबसाइट पर रुके.  आप की वेबसाइट इन कुह कारण से रैंक नहीं हो रही है तो आप को इन्हे सुधारना पड़ेगी.

फ्रंट एंड और बैक एंड क्या है?

अगर आप वेबसाइट बनाते है तो आपको दो चीजों का पता होना चाहिए. अगर आपको फ्रंट एंड और बैक एंड का मतलब नहीं पता तो आपको में बताने वाला हूं तो आइए जानते है. फ्रंट एंड इसका मतलब है कि आपकी वेबसाइट की बाहर कि कोडिंग जो कि आपको html css से करनी होती है. इसके लिए आप को इन लैंग्वेज की जरूरत पड़ती है. बैकएंड इसका मतलब के वेबसाइट की अंदरूनी कोडिंग जो कि सर्वर पर चलती है. जैसे mysql php वगेरह. जिसकी मदद से आप डेटाबेस से डेटा की आपले कर सकते है. तो दोस्तो ये था बैक एंड और फ्रंट एंड का सिम्पल सादा मतलब.

Blogger में custom domain केसे add करे?

अगर आपकी वेबसाइट ब्लॉगर में है और आप ने डोमेन ले लिया है और आपको पता नहीं है कि ब्लॉगर कि वेबसाइट में कस्टम डोमेन कैसे add करे तो में आप को बताऊंगा कि कैसे आप एक कस्टम डोमेन केसे add करते है. तो आइए जानते है. सबसे पहले आप को आपकी डोमेन वाली वेबसाइट पर आजाना है और आप को dns मैनेज पर आ जाना है. वहा आप को यहां कईसारे ऑप्शन मिलनगे और आप को यहा कुछ रिकॉर्ड डालने होगे इसलिए आप अपने ब्लॉगर अकाउंट पर आ जाए.  ब्लॉगर में आने के बाद वहाके सैटिंग के ऑप्शन में जा कर आप को कस्टम डोमेन के ऑप्शन पर क्लिक करना है. क्लिक करने के बाद आप को अपना डोमेन यहां डालना होगा. डोमेन के आगे आप www लगाना ना भुले. उसके बाद आपको यहां पर एंटर दबाएं. एंटर प्रेस करने के बाद आप के डोमेन डोमेन के लिए कुछ cname और होस्ट नेम आ जाएंगे आप को जो cname ब्लॉगर में मिला है इसे आपको डोमेन वाली वेबसाइट में cname के रिकॉर्ड में आप को cname add कर देना है. उसके बाद आप को वापिस ब्लॉगर में आ जाना है वहा पर आपको एक होस्ट नेम मिलेगा. उसे आप को डोमेन वाली वेबसाइट के होस्ट में डाल देना है. उसके बाद इस रिकॉर्ड को सेव कर देना है. वापिस से आप

Sitemap क्या होता है?

साइटमैप का मतलब होता है कि आप की वेबसाइट कि सारी लिंक एक पेज के अंदर होती है. अगर आप को किसी भी वेबसाइट पर कोई भी वेबपेज पर जाना है. आप आसानी से साइटमैप कि मदद से किसीभी उस साइट के किसी भी कोने में पहोच सकते है. अगर किसी भी वेबसाइट का साइटमैप देखना है तो आप उसकी वेबसाइट एड्रेस के पीछे /sitemap.xml लिख देना है जिससे उस वेबसाइट का पूरा साइटमैप आपके सामने आ जाएगा.  अगर आप वेबसाइट ब्लॉगर पर बनाते है. तो आपको साइटमैप बनानेकी कोई जरूरत नहीं होगी. क्युकी वहा अपने आप पूरा साइटमैप बन जाता है. तो ये थी जानकारी साइटमैप से रिलेटेड. अगर आपका कोई डाउट हो तो आप मुझे कमेंट में पूछ सकते है.

Alexa rank क्या होता है?

अगर आप किसी भी वेबसाइट को देखेंगे तो आपको उसके साथ साथ एलेक्सा रैंक भी दिखाया जाता है. तो अगर आप को नहीं पता कि एलेक्सा रैंक क्या होता है. तो चलिए में आपको बताता हूं कि एलेक्सा रैंक क्या होता है. तो आइए जानते है. सबसे पहले तो ये जानते है कि एलेक्सा किसने बनाया है. एलेक्सा को अमेज़न ने बनाया है. एलेक्सा एक ऐसी वेबसाइट है को वेबसाइट को रैंक देने केलिए बनाया है.   ये उसी वेबसाइट कि रैंक दिखाती है जिसके ब्राउज़र में एलेक्सा होता है.  ये अलग अलग वेबसाइट को अपने कुछ रैंकिंग फैक्टर के मुताबिक उसे रैंक देता है. और उसे उसकी कॉम्पिटीटर वेबसाइट की भी लिस्ट देता है. अगर आपकी वेबसाइट नई है. और आपको यूस एलेकसामे लानी है तो आपको तीन महीने तक का समय लगेगा.  तो ये थी जानकारी एलेक्सा के बारेमे आप को ये जरूर काम आयेगी.

ऑन पेज seo और ऑफ पेज seo क्या होता है?

अगर हमने वेबसाइट में seo के जरिए रैंक करवाना चाहते है तो आप को दो चीजों का पता होना चाहिए. ऑन पेज seo और ऑफ पेज seo. अगर आप अपनी वेबसाइट को खुद ही डेवलप कर रहे है. तो आप को ये चीजो का पता होना चाहिए. तो आइए जानते है कि ऑन पेज और ऑफ पेज seo क्या है. ऑन पेज seo का मतलब है कि आप वहीं वेबसाइट के एक पेज पर सारे कीवर्ड लिख देना है. और वहा पर आप को अपनी वेबसाइट पर ही सारी चीजे करनी है जो कि आपकी वेबसाइट को रैंक करने में मदद रूप होती है. अब हम आते है कि आपकी वेबसाइट में ऑफ पेज seo कैसे करते है. ऑफ पेज seo के लिए आपको थोड़ी बहुत कोडिंग आनी चाहिए. अगर आपको ऑफ पेज seo करना है तो आपको अपने वेबसाइट को अपने वेबसाइट के html में अच्छे से टैग लगाने होगे. होगे उसमे आप को मेटा डिस्क्रिप्शन भी अच्छे से लिखना होगा. इसमें आपको बैकलिंक बनानी होती है.  तो ये थी जानकारी ऑन पेज seo aur off पेज seo करने में मदद मिलेगी.

लोकलहोस्ट क्या होता है?

हमने काफी दिन पहले एक ब्लॉग बनाया था. उसमे एक वेबसाइट को होस्ट करना सिखाया था. पर उसमे हमने वो वेबसाइट एक सर्वर में होस्ट कि थी. उसमे हमने वो वेबसाइट लाइव सर्वर पर होस्ट की थी.  पर कई बार हमे जब वेबसाइट डेवलप करनी होती है. तब हम सीधा सर्वर पर होस्ट ना करके हमे अपने खुदके सिस्टम में ही इसे होस्ट करना होता है. होस्ट करने के लिए हमे अपने कम्प्यूटर या लैपटॉप में ही एक सर्वर बनाके कन्फिगर करना होता है.  इस के लिए आपके कंप्यूटर या लैपटॉप में xampp सर्वर होना जरूरी है. उसमे आप को सर्वर को एक्टिवेट करना होता है इसमें आपको तीन चीजे स्टार्ट करनी होगी  1 apache 2 MySQL  3 phpmyadmin ये तीनों को आप जब स्टार्ट करेंगे. तो आपकी सिस्टम में भी सर्वर जैसी सैटिंग हो जाएगी. जिसमे आप अपनी वेबसाइट को होस्ट कर सकेंगे.  अगर आप को इसे चेक करना है तो आप अपने कोई ब्राउज़र में जाकर उसमे सिर्फ लोकल होस्ट लिखना है. तो आपके सामने एक xampp का पेज ओपन होगा अगर हो जाता है तो आप ने इसे सक्सेसफुली एक्टिव कर दिया है. अब अगर हमे अपने वेबसाइट को होस्ट करना है. तो आपको अपने कंप्यूटर में मी कंप्यूटर के फोल्डर में जाकर xamp

बैकलिंक क्या होता है?

मैने गूगल स्पाइडर वाले ब्लॉग में मैने आप से बैकलिंक के बारेमे बताया था. अगर आप को नहीं पता तो में आपको इसके बारेमें आज बताऊंगा की ये बैकलिंक क्या होता है. तो आइए जानते है. बैकलिंक को समाज ने के लिए में आपको एक एकसामपल के जरिए बताता हु. हम एकसामपल के तौर पर दो वेबसाइट लेते है एक का नाम है A और दूसरे का नाम है B. अगर A वाली वेबसाइट की कोई लिंक B वाली वेबसाइट में है तो उसे बैकलिंक कहे ते है. बैंक लिंक भी वैसे दो टाइप की होती है. जैसे  Dofollow बैकलिंक Nofollow बैकलिंक डूफोलो बैक लिंक बनाने के लिए आपको सिर्फ अपनी वेबसाइट में उस जगह a href टैग में सिर्फ वेबसाइट कि लिंक देनी है.  अगर आप को नोफोलो बैकलिंक बनानी है तो आपको अपनी वेबसाइट a href टैग में rel='nofollow' लिखना पड़ेगा. आपको सिर्फ ये करने के बाद बैकलिंक बन जाएगी. बैकलिंक बनाने का मुख्य कारण दूसरी वेबसाइट से ट्रैफिक लेना. और अपनी वेबसाइट को रैंक करवाना इसका मूल्य कारण है.  तो दोस्तो अब आपको पता चल गया होगा कि बैकलिंक क्या होता है और इसका इस्तेमाल क्या है.

गूगल स्पाइडर क्या है?

अगर आप वेबसाइट बनाते है या आप seo से रिलेटेड काम करते है. तो आपने गूगल स्पाइडर के बारे में जरूर सुना होगा. या ऐसा भी ही सकते है. की आप इसके बारेमें आप थोड़ा बहुत जानते भी हों. तो आज इस विषय में कंप्लीट आर्टिकल लेके आया हूं. तो आइए जानते है. गुगल स्पाइडर एक तरह की कोडिंग होती है. जो कि जब आप वेब मास्टर अपनी वेबसाइट को सब्मिट करेंगे तब क्रोलर आप की वेबसाइट को स्कैन करेगा. ये क्रोलर को ही गूगल स्पाइडर कहा जाता है.  ये क्रोलर या आप गूगल स्पाइडर आप की वेबसाइट को स्कैन करता है. और ये ढूंढ़ता है बैकलिंक यानी हाइपर्लिंक की वो और कितनी वेबसाइट को पॉइंट करता है. ये गूगल स्पाइडर हर सेकंड कई वेबसाइट को क्रॉल करता है. और ये क्रोल की हुई इन्फॉर्मेशन को गूगल के सर्वर पर भेजता है. जो कि ये सारी इंफॉर्मेशन आप को सर्च रिजल्ट में दिखने के लिए यूस करता है.  तो ये थी कुछ जानकारी गूगल स्पाइडर से रिलेटेड.

SSL क्या होता है?

SSL सिक्योर सॉकेट लेयर. आज हम जानेंगे की एसएसएल क्या होता है इसका इस्तेमाल क्या है वगेरह. तो आइए जानते है. SSL एक तरह का सर्टिफिकेट होता है जो कि आप की वेबसाइट को http से https में ले जाते है. ये सर्टिफिकेट आप को होस्टिंग के साथ मिलता है.  अगर आप ब्लॉगर यूस करते है तो ये वहा पर भी होता है. इसे सिर्फ क्लिक करके अनेबल करना होता है. ये सर्टिफिकेट की मदद से आप का कनेक्शन इंक्रिप्टेड हो जाता है. जिससे आप का कनेक्टन सिक्योर ही जाता है.  तो ये थे कुछ फायदे ssl सर्टिफिकेट के बारे में.

कोडिंग क्या होता है?

कोडिंग क्या होता है. आज हम इस विषय में बात करेंगे. की कोडिंग क्या होता है प्रोग्रामिंग लैंग्वेज क्या होता है कोंसी लैंग्वेज कहा पर यूस होगी. तो आइए जानते है. आपको कोडिंग या प्रोग्रामिंग समझ ने के लिए आपको पहले इसका इस्तेमाल समाज ना होगा. अगर आप मोबाइल या कंप्यूटर चलते है. तो आप कोई ना कोई एप्लिकेशन इस्तेमाल करते होंगे आप या वेबसाइट बनाने केलिए आपको इन प्रोग्रामिंग लैंग्वेज की जरूरत होती है.  आप को एप और वेबसाइट बनाने के लिए अलग अलग प्रोग्रामिंग भाषा की जरूरत पड़ती है. केसे html css जैसी भाषा वेब डिजाइनिंग में काम आती है. और जावा सी जैसी भाषा एप बनाने के लिए काम में आती है.  ये सारी होगया प्रोग्रामिंग भाषा की बात और जब हम ये वस्तु को बनाते है और इसको बनाने की प्रक्रिया को कोडिंग या प्रोगामिंग कहेते है. अब आपको इस विषय से रिलेटेड सारे डाउट क्लियर हो गए होंगे अगर आपको कोई भी समस्या है तो आप मुझे कमेंट करके बता सकते है.

वेब मास्टर क्या है?

वेब मास्टर एक प्रोग्राम होता है. जो कि हरएक सर्च इंजन के पास होता है. सर्च इंजन में आप की वेबसाइट को इंडेक्स करने के लिए वेब मास्टर का उपयोग होता है.   गूगल के पास भी अपना वेब मास्टर प्रोग्राम है जिसका नाम गूगल सर्च कंसोल है. इसके जरिए आप अपने वेबसाइट को गूगल सर्च इंजन में इंडेक्स करवा सकते है.  वेब मास्टर से आप अपने ट्रैफिक को भी देख सकते है. अगर आपको लगता है कि मुझे ये देखना कि कौनसे देश से वेबसाइट पर लोग विजिट कर रहे है तो आपको इसकी भी ऑप्शन मिलती है.  अगर आपको ये जानना है कि मेरी वेबसाइट किस कीवर्ड पर रैंक कर रही है ये भी आप इसकी मदद से जान सकते है. अगर आप ये जानना चाहते है कि आपकी वेबसाइट के कोंसे पेज इंटरनेट पर है कौनसे पेज इंडेक्स नहीं है. कोनसा पेज क्यू इंडेक्स नहीं है. ये सारी चीजे आपको सिर्फ वेबमास्टर से पता लगा सकते है. अब हम जानेंगे की गूगल सर्च कंसोल में वेबसाइट कैसे इंडेक्स करनी है. गूगल वेब मास्टर में अपनी वेबसाइट डाल ने के लिए आपकी वेब साइट या ब्लॉग का एड्रेस होना चाहिए. आप को अपने वेबसाइट को सर्च कंसोल में डालने के लिए. आप को एक ईमेल आईडी कि जरूरत पड़ेगी. इसके लिए अगर

SEO क्या होता है?

SEO मतलब search engine optimization. आखिर ये होता क्या है. इसकी मदद से हम क्या कर सकते है. आज हम जानेंगे इस ब्लॉग में तो आइए जानते है. SEO का मतलब मैने ऊपर बताया इस प्रकार search engine optimization होता है. अब हम जानते है कि सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन हमारी वेबसाइट के लिए कैसे उपयोगी है.  ये एक स्किल है जो कि वेबसाइट की रैंकिंग में काफी मदद मिलती है. इसमें ज्यादा से ज्यादा सर्च इंजन में वेबसाइट को रैंक करने में मदद मिलती है.  इसे हमारी वेबसाइट पर कुछ सैटिंग करके या इसमें कोडिंग करके आप वेबसाइट में डाल सकते है. अगर आप ब्लॉगर में काम करते है तो वहा भी इसका कई सारे ऑप्शन मिली है और वर्डप्रेस पर भी इसकी सैटिंग मिलेगी.  SEO में कई सारे फैक्टर होते है. जिस में आपको ध्यान रखना होता है. इस के कई सारे क्लासिस और कोर्स भी होते है.  तो ये थी कुछ जानकारी SEO से रिलेटेड.

robots.txt

अगर आपने भी एक ब्लॉग क्रिएट किया है या आपने कोई वेबसाइट क्रिएट की है तो उसके एक ऑप्शन में आपको robots.txt की ऑप्शन जरूर दिखाई देगी. मैने अपने एक ब्लोगमे बताया था कि में इस विषय पर आर्टिकल लेके आने वाला हूं तो आइए जानते है. की robots.txt कया होता है. robots.txt एक फाइल होती है. जिसमे लिखा होता है क्रोलर को कौनसी फाइल तक आना है.  अब बात आती है ये क्रोलर क्या होता है? तो क्रोलर कुछ नहीं बस एक कोडीग होती है. जो कि एक सर्च इंजन भेजता है आपकी साइट पर. जो कि इसलिए होती है कि आपकी वेबसाइट को वो स्कैन करके उसे रैंक कर सके. इसे क्रोलर कहेते है. अब बात आती है robots.txt फाइल की. ये फाइल इसलिए बनाई जाती है. क्युकी अगर क्रोलर ने आपकी वेबसाइट की उस फाइल को दिखा दिया जिसमे सारी पर्सनल जानकारी है तो समस्या हो सकती है. इसलिए ये फाइल डिजाइन की जाती है.  इस फाइलमे आप किसी भी सर्च इंजन को एलो या डिस एलो कर सकते है. अगर आप चाहते है तो सारे सर्च इंजन को एलो कर सकते है या डीस एलो भी कर सके है. अगर आप को सभी इंजन को एलो कारण है तो सिर्फ allow: सिर्फ इतना ही लिखना है. अगर आपको डीस एलो करना है. तो सिर्फ आप को a

ब्लॉगर वेबसाइट पर SEO सेटिंग केसे करे?

हमने इसके पिछले वाले ब्लॉग में बताया था. की केसे आप एक ब्लॉग बना सकते है और उसमे आप को बताया था कि आप पोस्ट केसे लिख सकते है. अगर आप को अपने ब्लॉग को रैंक करना है और अगर आप अपने ब्लॉग को सर्च इंजन में केसे रैंक करना है. ये आपको केसे करना है सारी जानकारी आज हम इस ब्लॉग से लेने वाले है. सबसे पहले ये सारी सेटिग करने के लिए आप को  सबसे पहले सेटिंग्स में चले जाना है. यहां पर आप को अपने ब्लॉगर ब्लॉग को ऐक्सेस करने के लिए सारी चीजे मिलेगी.  सबसे पहले आप को अपने वेबसाइट का टाइटल दे दे. आपको ये ध्यान रखना है कि अगर आप माइक्रो निश ब्लॉग बना रहे है तो टाइटल थोड़ा लम्बा दे. जिससे seo में आसानी से आ सके. अब हम आते है डिस्क्रिप्शन पे. आप यहां अपनी वेबसाइट के बारे में बता सकते है. की आपकी वेबसाइट किसके विषय में है. और आप खुद कौन है. ब्लॉग लैंग्वेज को सेलेक्ट करले. आपको यहां कई सारी लैंग्वेज मिलेगी. आप की अपने ब्लॉग की लैंग्वेज के मुताबिक आप को अपनी भाषा चुन लेनी है. अब आते है गूगल एनालिटिक्स पर आजाना है. आप को यहां गूगल एनालिटिक्स की आईडी बना लेनी है. वो आईडी आप को यहां डाल देनी है.  बाद में आप को फे

ब्लॉगर वेबसाइट केसे बनाए?

कुछ दिन पहले हमने वर्डप्रेस वेबसाइट बनाने के बारे में बताया था. जिसमे आप को होस्टिंग और डोमेन नाम लेने की जरूरत होती है. पर अगर आप सिम्पल एक राइटर हो और अपनी बात सिर्फ लिखना चाहते है. और ज्यादा कोई कॉस्टमाइजेशन की परेशानी नहीं उठाना चाहते तो ब्लॉगर आपके लिए बेस्ट है. सबसे पहले तो हम जान लेते है कि ब्लॉगर क्या है. ब्लॉगर एक प्लेटफॉर्म है जहां आप सिर्फ पांच मिनिट के अंदर अंदर आप एक ब्लॉग डिजाइन कर सकते है. ये भी वर्डप्रेस की तरह एक cms है पर ये ओपन सोर्स नहीं है. आप इसका इस्तेमाल से कम से कम समय में एक अच्छा ब्लॉग क्रिएट कर सकते है. तो आज हम जानेंगे की आप को एक ब्लॉग केसे क्रिएट करना है और ब्लॉग पोस्ट कैसे लिखनी है. ब्लॉगर पर अकाउंट बनाने के लिए आप को सिर्फ एक ईमेल आईडी की जरूरत पड़ेगी. अगर आपका अकाउंट gmail में है तो आप को अपनी gmail id से ही अकाउंट बना सकते है. उसके बाद आप क्रिएट ए न्यू ब्लॉग पर क्लिक करे. उसके बाद आप उस ब्लॉग पर सबसे पहले अपना टाइटल डालेंगे.जो कि किसी भी नीशे के रिलेटेड हो सकता है. टाइटल डालने के बाद आप को ब्लॉग एड्रेस डालने को बोला जाएगा. ब्लॉग एड्रेस में आप को एक su

सर्वर क्या होता है?

हम ने कुछ दिन पहले ही एक वर्डप्रेस वेबसाइट को होस्ट करना सिखाया था. जिसमे आप को होस्टिंग शब्द सुनने जरूर मिला होगा. होस्टिंग का मतलब ही सर्वर से है. तो आज हम जानेंगे की सर्वर क्या होता है. इसके कितने प्रकार होते है इसका इस्तेमाल क्या क्या है वगेरह. तो आइए जानते है. सबसे पहले हम बात करेंगे कि ये सर्वर होता क्या है. सर्वर एक तरह का कंप्यूटर ही होता है. जिसमे सिर्फ कुछ ऐसी कॉन्फ़िगरेशन कर दी जाती है कि वो एक सर्वर बनती है. सर्वर का अर्थ होता है सर्विस देना जो हमे कोई सर्विस देता है वो सर्वर कहेलाता है.  सर्वर एक तरह का इंटरनेट का बैकबोन होता है जो कि इंटरनेट को चलाए रखने में सबकी मदद करता है. सर्वर भी कई प्रकार के होते है इसके भी कई अलग अलग उपयोग होता है. जैसे वेब होस्टिंग सर्वर वेबसाइट को होस्ट करने के लिए काम में आता है. मेल सर्वर जोकि ईमेल के लिए काम में आता है. सर्वर मैनली दो OS पर चलते है linux ओर windows. इनमें इन दोनों की अलग अलग खासियत है. दोनो अपने आपके काफी अच्छे है. तो ये थी कुछ जानकारी सर्वर से रिलेटेड आप को ये जरूर काम में आए होगा.

बेस्ट ऐंड्रॉयड ऐप होस्टिंग

अगर आप अपनी एंड्रॉयड ऐप बनाई है या आप एंड्रॉयड ऐप बनाना चाहते है तो आपके लिए ये काफी फायदमंद आर्टिकल है. तो आइए जानते हैं. अगर आपने अपनी एप के बनायी है या बनाने वाले है तो आप के मन में ये सवाल तो जरूर आ रहा होगा की सबसे अच्छी होस्टिंग कौनसी हैं. किस तरह का सर्वर लें चाहिए. तो अगर आप अपने बिजनेस के लिए ये बना रहे है. तो मेरी ये रिकमेडेशन रहेगी कि आप हिनीकॉड के साथ जाए. क्युकी इससे आप बीस लोगो के लिए आसानी से सिर दस से पंद्रह मिनट में ही एक ऐप तैयार कर सकते है. जिसमे आपको होस्टिंग की कोई दिक्कत नहीं आएगी. पर अगर आप एक एप डेवलपर है और आपने एक एप डिजाइन की है तो आपको आपके ट्रैफिक के हिसाब से होस्टिंग लेनी चाहिए. अगर आप के दिन में बीस से लेकर पचास हजार तक का ट्रैफिक आता  है. तो आप को VPS होस्टिंग लेना चाहिए. अगर आप के यूस इससे ज्यादा है तो आपके लिए क्लाउड होस्टिंग काफी फायदेमंद साबित होंगी.  अगर आपकी एप में AI का इस्तेमाल होता है तो आपके लिए गूगल की क्लाउड होस्टिंग काफी मदद करेगी. यहां आपको ऐसे कई सारे ऑप्शन मिलेंगे जिससे आप AI को अपने सर्वर पर ही चला सकते है.  तो आशा करता हूं आप को ये आर्ट

वर्डप्रेस में वेबसाइट को कस्टमाइज केसे करे?

हम ने अब तक जाना की केसे वर्डप्रेस को होस्टिंग में इंस्टॉल करते है. तो आज हम सीखेंगे की वर्डप्रेस को हमारी वेबसाइट के लिए कैसे कस्टमाइज करना है? तो आइए जाने है. वर्डप्रेस इस्तेमाल करने की सबसे अच्छी बात ये है कि हमे कुछ कॉडिंग नहीं करना. बस आप को इसके एडमिन पैनल पर आना है और आप को कस्टमाइज करने के सारे ऑप्शन वहा पर दिख जाएंगे. इसके लिए आप को अपनी होस्टिंग में जाने की भी जरूरत नहीं है. आप को बस अपने डोमेन के पीछे लिखना है wp-admin और आप का लॉगिन पेज खुल जाएगा. आप को उसमे लॉगिन करके इसके डेशबोर्ड में आना है. आप को वहा पर थीम चेंज करने की या आप बोल सकते है कि वेबसाईट के लेआउट को चेंज करने की सारी चीजे वहा पर मिल जाएगी. वहा आप को साइट बार में कई सारे ऑप्शन दिखने को मिलेंगे इसकी अच्छी बात ये है कि आप सब इसमें क्लिक करके easyly सारी चीजे मैनेज कर पाएंगे.  हम सबसे पहेले आप अपनी थीम चेंज करेंगे क्युकी आप को जो डिफॉल्ट थीम मिलेगी वो थोड़ी दिखने में अच्छी ना लगे तो इसके लिए आप को appearance>theme ऑप्शन में इसके बाद आप को इसमें से कुछ थीम मिलेगी अगर आप को इसमें से कोई थीम पसंद नहीं है. तो आप a

वर्डप्रेस को वेबसाइट के लिए इंस्टॉल कैसे करे?

हमने अपने पिछ्ले ब्लॉग में बताया था कि वर्डप्रेस क्या होता है. उस केसे डाउनलोड करते है. CMS क्या होता है वगेरह. तो आज हम सीखेंगे की केसे यूस हमारी होस्टिंग में इंस्टॉल करना है. और केसे हम उसमे इस्तेमाल कर सकते है. तो आइए जानते है. वर्डप्रेस को वेबसाइट इंस्टॉल करने के लिए आप पहले अपने होस्टिंग अकाउंट में आ जाना है. अगर आपने अपनी होस्टिंग और डोमेन एक ही वेबसाइट से लिया है तो आप उस में ही लॉगिन करले. उसके बाद आप को होती में मैनेज होस्टिंग में आ जाना है वहा पर आप को cPanel का ऑप्शन दिखाई देगा वहा पर आप को क्लिक करना है.  उसके बाद आप के सामने एक पैनल ओपन हो जाएगा जिसमें काफी सारे ऑप्शन होंगे इसमें से आप को फाइल मैनेजर के ऑप्शन में जाना है. वहा आपको कई सारे फोल्डर मिलेंगे. उस फोल्डर में से आप को public_html फाइल में जाना है. और उसमे आप की होस्टिंग प्रोवाइडर की कई सारी फाइल उसमे होगी यूस आप को डिलीट कर देना है. वहा पर आप को एक ऑप्शन मिलेगी अपलोड की वहा आप को क्लिक करना है. वहा क्लिक करने के बाद आप को अपने कंप्यूटर में जहा कहीं भी आप ने वर्डप्रेस रखा है उसे वैसे के वैसे ही अपलोड कर देना है.

वर्डप्रेस क्या है? और इसे कैसे इस्तेमाल करते है?

वर्ड प्रेस CMS है CMS का मतलब Content Management System होता है.जो हमारे वेबसाइट कंटेंट को और हमारी वेबसाइट को मैनेज करने के लिए काम में आता है. वेबसाइट को मैनेज करने के लिए हमे एक सॉफ्टवेयर कि जरूरत होती है. जोकि हमारे वेबसाइट को डिजाइन करने के लिए काफी मदद रूप होता है. वैसे जिसको प्रोग्रामिंग आता है उन्हें वैसे तो कोई जरूरत नहीं होती. पर आप को अगर राइटन कंटेंट प्रोवाइड करते है तो आप को कोई ना कोई CMS यूस करना चाहिए.  अगर आप को प्रोग्रामिंग की जरा सी भी नॉलेज नहीं है तो भी आप ज्यादा से ज्यादा 5-10 मिनिट में वेबसाइट को डिजाइन करके यूस लाइव कर सकते है.  आप को अब पता चल गया है की CMS क्या होता है. तो ऐसे ही एक CMS वर्डप्रेस के बारे में बात करेंगे.  वर्डप्रेस एक बेस्ट CMS है जिसको आप कीसिभी होस्टिंग के साथ में डाउनलोड करके इस्तेमाल कर सकते है. वर्डप्रेस को आप सिर्फ ड्रेग एंड ड्रोप के साथ वेबसाइट को बना सकते है. आप को सिर्फ एक अच्छी सी थीम इस्तेमाल करके उसे अच्छे से कस्टमाइज करना है.  एक बार आप वर्डप्रेस को अच्छे से सीख जाएंगे तो आप आराम से यूस यूस कर पाएंगे. आप को अपनी वेबसाइट में वर्डप्

डोमेन को होस्टिंग से कनेक्ट केसे करे?

अगर आप हमारे ब्लॉग को शुरुआत से देख रहे है. तो आप को जरूर पता होगा उसमे हमने डोमेन और होस्टिंग को पसंद करना सिखाया था. जिसमे हमने होस्टिंग और एक डोमेन केसे लेते है वो देखा था. अब हमे हमारी वेबसाइट को लाइव करने के लिए उन दोनों को कनेक्ट करना होता है.   उन दिनों को कनेक्ट कैसे करते है. आइए जानते है. अगर आप ने डोमेन और होस्टिंग एक वेबसाइट से ही लिया है तो आप को कुछ करने की जरूरत नहीं है. पर आप ने अगर उन दोनों को अलग अलग वेबसाइट से लिया है तो आप को सिर्फ एक सेटिंग करनी होगी. वो सेटिंग के लिए आप को अपने डोमेन और होस्टिंग के वेबसाइट में जाना है और वहा पर आप को सिर्फ एक नेम सर्वर को बदलना है. उसे बदल ने के लिए आप को अपने होस्टिंग के अकाउंट में एक नेम सर्वर मिलेगा जो कि आप को होस्टिंग लेते वक़्त अपने ईमेल में भी आया होगा उसे के कर अपने डोमेन अकाउंट में आना है.  अकाउंट में आने के बाद आपको मैनेज DNS पर क्लिक कर के dns रिकॉर्ड के ऑप्शन में जाना है. वहा आप को नीचे नेम सर्वर की ऑप्शन मिलेगी. जहा पहले से ही डोमेन प्रोवाइडर कंपनी के नेम सर्वर होंगे वहा जा कर उन दोनों नेम सर्वर को अपने होस्टिंग के नेम

अपने website के लिए होस्टिंग कैसे खरीदे?

वेबसाइट बनाने में ये सबसे अहम भूमिका होती है कि आप अपनी वेबसाइट के लिए होस्टिंग कैसे खरीदते हो. होस्टिंग खरीदने के लिए आप को कई सारी बातो का खियाल रखना होगा.  होस्टिंग खरीदने का सीधा मतलब ये होता है कि आप अपने वेबसाइट के लिए एक सर्वर खरीद रहे हो. सर्वर कुछ और नहीं हमारे कंप्यूटर कि ही तरह एक कंप्यूटर होता है. जो कि इस तरह से बनाया जाता है कि वहा पर उसे कहीं से भी ऐक्सेस किया जा सके. इस में सिर्फ इस तरह की कॉन्फ़िगरेशन होती है. वैसे तो हम घर पर भी अपने कंप्यूटर पर वेब होस्टिंग कर सकते है. पर ये इंडिया में पॉसिबल नहीं है. क्यों की कभी भी यहां पर इंटरनेट बंध हो जाता है या लाइट चली जाती है. तो हमारी वेबसाइट बन्ध हो जाएगी और उसकी रैंकिंग पर भी कुछ ना कुछ असर होगा. कभी इंटरनेट कि स्पीड कम हो जाती है. इस वजह से हमे एक सर्वर लेना होगा. ये सर्वर हमे कहा से मिलेगा? ये कैसे खरीद ना है इस सब में आगे बताने वाला हूं. हम पहले कुछ बाते क्लियर कर लेते है. की हमे किस तरह से सर्वर खरीद ना है. इसके पहले वाले आर्टिकल में मैने आप को बता या था कि होस्टिंग क्या होता है. तो आप उसे जाकर पहले पढ़े बाद में आप इसे

Hosting किस प्रकार की होती है?

आगर आप हमारे ब्लॉग को शुरू से पढ़ रहे हो तो आप को जरूर पता होगा कि एक वेब साइट बनाने के लिए आप को एक hosting की जरूरत पड़ती है.  अगर आप ने website बनाने का निश्चय कर लिया है तो आप को अपने वेबसाइट को होस्ट करने के लिए आप को एक होस्टिंग की जरूरत पड़ती है में आप को आज ये बताऊंगा की होस्टिंग किस प्रकार की होती है. बेसिकली होस्टिंग 3 प्रकार की होती है.  1) शेयर्ड होस्टिंग 2) VPS होस्टिंग 3) डेडीकेटेड होस्टिंग इस में आप को ज्यादा समज में नहीं आएगा है तो गाभराइए मत में आप को बताता हूं कि ये सब क्या है. 1) शेयर्ड होस्टिंग ये होस्टिंग बहुत ही चिप प्राइस में मिलजाती है. ये होस्टिंग में आप को एक वेबसाइट होस्ट करने की और एक बिजनेस email id मील सकती है. इस कि स्पीड थोड़ी कम होती है क्युकी ये वेबसाइट काफी सारी वेबसाइट के साथ होस्ट होती है.  इस वेबसाइट में अगर आप का एक दिन में 1हजार लोग विजिट करते है तो आप की ये होस्टिंग उन्हें आसानी से कंट्रोल कर सकती है. अगर आपकी वेबसाइट पर इस से ज्यादा ट्रैफिक आता है तो आप को VPS server की जरूरत पड़ेगी. 2) VPS होस्टिंग VPS का फूल फॉर्म है Virtual Private Server. इ

Domain को रजिस्टर कैसे करे?

अगर आप वेबसाइट बनाना चाहते है तो आप को यूस एक नाम देने के लिए डोमेन की जरूरत पड़ती है. ये नाम आप को रजिस्टर करवाना पड़ता है. और आप को खरीदना पड़ता है.  ये वेबसाइट के नाम को रजिस्टर करने के लिए आप को कुछ स्टेप को फॉलो उप करना होगा. तो चलिए जानते है.  Step 1: website का नाम सोच के रखे पहले तो आप को अपने वेबसाइट का नाम सोच के रखना होगा जिसको आप अपने डोमेन के नाम को रजिस्टर कर सके.  Step 2: domain रजिस्टर साइट serach करे डोमेन नेम register करने के लिए आप को एक डोमेन रजिस्ट्रार की जरूरत पड़ती है. जैसे कि GoDaddy, Hostinger, Hostgator वगेरह. आज कल तो Google भी अपने डोमेन को बेचने लगा है. अगर आप चाहे तो उसे भी यूस कर सकते है. Step 3: जिस वेबसाइट को आपने चुना है उस पर डोमेन search करे. ये भी हो सकता है कि आप को को डोमेन रजिस्टर करना है वो अवेलेबल ना हो. अगर आप को ये नहीं मिलता तो आप को other एक्सटेंशन भी ट्राय करना पर सकता है. Step 4: domain पसंद करने के बाद आप को ये चेक कर लेना है कि आप ने जो नाम पसंद किए है वो आप की वेबसाइट के मुताबिक सही बैठता है. Step 5: अब हम आते है कि पेमेंट केसे करना है

हमे domain की क्या जरूरत है?

हमे वेबसाइट बनाने के लिए 2 चीजों की जरूरत पड़ती है. Domain name ओर Hosting. Domain की जरूरत हमे अपनी वेबसाइट को नाम और एक अलग पहचान देने के लिए इस्तेमाल होता है.  वेबसाइट बनाने के लिए आप को डोमेन और उसके को आपस में कनेक्ट करना होता है. ये सब हम बादमें सीखेंगे की हमे domain और होस्टिंग को केसे कनेक्ट करना है. और अब बात करते है कि हमे ये डोमेन की जरूरत क्यों पड़ती है. अगर में आप को बोलु की example.com की जगह 93.184.216.34 ये नंबर याद रखना पड़े तो क्या होगा. अगर मान भी लेते है कि आप को इस वेबसाइट का ip याद रख भी पाते है. तो इंटरनेट पर तो आप को कितनी सारी वेबसाइट मिलेंगी जिसको आप रोज इस्तेमाल करते होंगे. पर आप इन सबके ip address आप केसे याद रख पाएंगे? इस चीज को आसान बनाने के लिए डोमेन नेम का यूस ही है.

DNS क्या है?

DNS मतलब डोमेन नेम सिस्टम या सर्वर भी आप बोल सकते है.  सबसे पहले तो ये मेरा पहला पहला आर्टिकल है. और इस ब्लॉग मै में डोमेन नेम सिस्टम और होस्टिंग से जुड़ी पोस्ट पब्लिश करने वाला हूं. ये एक माइक्रो निशे ब्लॉग है. जो कि आप को सर्वर और होस्टिंग से रिलेटेड है. अब हम बात करते है कि DNS क्या होता है. ऊपर मैने बताया इस DNS मतलब domain name system.  Domain Name एक नाम होता है. जो कि वेबसाइट को मिलता है जैसे कि हमारी इस वेबसाइट का है. पर ये एक सब डोमेन है. इस में भी कई तरह के पार्ट होते है. जैसे - फर्स्ट लेवल डोमेन(top leval domain) सेकंड लेवल डोमेन  थर्ड लेवल डोमेन  फोर्थ लेवल डोमेन इस में से टॉप लेवल डोमेन आप को रजिस्टर करके खरीदना होता है. डोमेन नेम और कुछ नहीं सिर्फ IP address का स्ट्रिंग रूप होता है. क्युकी कुछ कारण कि वजह से इंसान ip address उदा.127.0.0.1 इस समस्या से बचने के लिए हम dns का कॉन्सेप्ट इंट्रोड्यूज हुआ जिस में ip address की जगह नाम का इस्तेमाल होने लगे और इस नाम के साथ लगता है टॉप लेवल डोमेन जैसे:- .com,.in,.net वगैरह. टॉप लेवल डोमेन मतलब की वो नाम जो वेबसाइट के एड्रेस के साथ